Sunday, March 23, 2008

लतीफे

एक साहब सुबह आफीस के लीए बस में सवार हुए तो कन्डक्टर ने सवाल कीया- रात ठीक-ठाक घर पहुंच गए थे, जनाब। लतीफे

क्यों? साहब के माथे पर बल पड़े- मुझे क्या हुआ था रात को?

आप शराब पीकर टुन्न थे।

तुमने कैसे जाना? मैंने तो तुम से बात तक नहीं की थी।

जनाब, आप जब बस में बैठे हुए थे तो एक मैडम बस में चढ़ी थीं, जीन्हें आपने उठकर अपनी सीट ऑफर की थी।

तो?

तब बस में आप दो ही पैसेन्जर थे जनाब।

लतीफ़े

एक महीला ने भीखारी को बुलाकर कमीज देते हुए कहा- यह कमीज मेरे मृतक पती की है। इसे ले जाओ, तुम्हारे काम आएगी।

वह कमीज कई जगह से फटी हुई थी। भीखारी ने उसे उलट-पलटकर ध्यान से देखा। फीर बोला- बीबी जी, आपके पती ठीक समय पर ही इस दुनीया से चले गए।
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रामू (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब! ये फूलों की माला कीस के लीए?

डॉक्टर (रामू से)- ये मेरा पहला ऑपरेशन है, सफल हुआ तो मेरे लीए, नहीं तो तुम्हारे लीए।
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बंता (संता से)- संता यह चाकू क्यों उबाल रहे हो?

संता (बंता से)- आत्महत्या करने के लीए।

बंता- तो फीर उबालने की क्या जरूरत है?

संता- कहीं इंफेक्शन न हो जाए।
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पत्नी का ऊपरी होंठ फट गया। डॉक्टर ने टांके लगाने के 10 रुपये मांगे। पती ने 20 रुपये का नोट दीया और दोनों होंठों पर टांके लगाने को कहकर ऑपरेशन रूम से बाहर आ गया।


पीताजी (सोनू से)- तुम्हारा रीजल्ट फीर से खराब हुआ है तुम एकदम गधे हो।

सोनू (पिताजी से)- पर दादाजी तो मुझे कहते हैं तुम गधे के बच्चे हो।
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एक कवी सम्मेलन में बड़ी संख्या में कवीगन पधारे थे।

समारोह की समाप्ती पर कवी स्टेज से नीचे उतर वहां रखे अपने जूते नीकालाकर पहनने लगे।

एक कवी महोदय को अपने जूते नहीं मील। उन्हें अपने जूते खोजते देखकर एक दूसरे कवी ने चुटकी ली- आप जूते ढूंढ रहे हैं या पसंद कर रहे हैं।
------------------------------------------------------------------------------------------------- महोदया, मैं संगीत का टीचर हूं।

मगर मैंने तो कीसी संगीत टीचर को नहीं बुलाया।

हां, मुझे आपके पड़ोसियों ने आपके पास भेजा है ताकी मैं आपको संगीत का अच्छा गयान करा सकूं।

मैं तो बीना टीचर के ही अच्छा अभ्यास कर रही हूं।

यह बात आप मुझसे नहीं अपने पदोसीयो से पूछीये की आप गायन का अभ्यास कर रही हैं या सत्यानाश।
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मोहन (रामू से)- यार तुम्हारी पत्नी की मौत का बड़ा अफसोस है। वैसे हुआ क्या था?

रामू (मोहन से)- गोली लगी थी माथे में।

मोहन- शुक्र कर ऊपर वाले का की आंख बच गई।
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महीलाओं की पार्टी में यह सवाल पूछा गया- पूरी बांहों का स्वेटर तैयार करने में कीतना समय लगेगा?

उत्तर अलग-अलग था-

यदी प्रेमी का है तो तीन दीन में।

यदी पड़ोसन के पती का है तो तीन हफ्ते में।

यदी अपने पती का है तो कम-से-कम तीन महीने या उससे भी ज्यादा लग सकते हैं।


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संता (प्रीतो से)- तुम कौन हो?

प्रीतो (संता से)- अब तुम अपनी पत्नी को भी भूल गए?

संता- नशा हर गम को भुला देता है।
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संता (बंता से)- मैं इस बार चुनाव लड़ूंगा और मैंने अपना चुनाव चीन्ह भी सोच लीया है।

बंता (संता से)- क्या होगा तुम्हारा चुनाव चीन्ह?

संता- गधा।

बंता- मेरी राय में तुम्हें अपना चुनाव चीन्ह बदल लेना चाहीये क्योंकी तुममें और चुनाव चीन्ह में कुछ तो अंतर होना चाहीए।
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संता (बंता से)- क्या तुम्हें रात में मच्छर परेशान नहीं करते?

बंता (संता से)- कतई नहीं।

संता- भला वो कैसे? मुझे तो बहुत परेशान करते हैं।

बंता- मैं रात को शराब पीकर जब बीस्तर पर लेटता हूं तो मच्छर मुझे घेर लेते हैं। पहले तो नशे की हालत में मुझे उनके काटने का पता ही नहीं चलता और जब मैं होश में आता हूं, वे नशे में धुत हो चुके होते हैं।
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रात के समय संता-बंता फ्लैट में बैठे गप-शप कर रहे थे।

संता को ख्याल आया की समय मालूम कीया जाए। पता चला की उसकी घड़ी बंद है। बंता के पास घड़ी नहीं थी। अंतत: संता ने जोर-जोर से गाना शुरू कर दीया।

फलस्वरूप सामने की खीड्की खुली और एक आदमी बुलंद आवाज में चीखा- ये क्या बदतमीजी है। रात के तीन बजे गाना गाया जा रहा है।

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रामलाल (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब! मैं चश्मा लगाकर पढ़ सकूंगा न?

डॉक्टर (रामलाल से)- हां.. हां.. बील्कुल।

रामलाल- तो फीर ठीक है वरना अनपढ़ आदमी की जीन्दगी भी कोई जीन्दगी है।

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डॉक्टर (बूढ़े मरीज से)- आज मैं आपको ऐसी दवा दूंगा की आप फीर से जवान हो जाओगे।

बूढ़ा मरीज (डॉक्टर से)- ऐसी दवा मत दीजीएगा डॉक्टर साहब! वरना मेरी पेंशन बंद हो जाएगी।

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रोगी (डॉक्टर से)- डॉक्टर आप मेरे मीत्र हैं। आपको फीस देते हुए संकोच होता है। इसलीये मैंने सोचा है की अपने वसीयतनामे में मैं आपका यह कर्जा भी चुका दूं। आज मैंने वह वसीयतनामा भी तैयार करा दीया है।

डॉक्टर (रोगी से)- अगर ऐसी बात है ग्रोवर साहब, तो मैं आज से आपकी दवा भी बदल रहा हूं।


डॉक्टर (मीरा से)- मीरा तुम्हारे दील की धड़कनों की गाती धीमी पड़ गई है?

मीरा (डॉक्टर से)- हां डॉक्टर साहब, मेरी शादी हुए एक साल हो गया है।

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मोनी के चिल्ला-चिल्लाकर बोलने पर उसकी मां ने कहा- तुम इतना शोर क्यों मचा रही हो। देखो सोनू भी तो तुम्हारे साथ खेल रहा है, पर उसकी आवाज नहीं आती।

मोनी ने जवाब दिया- मां! हम घर-घर खेल रहे हैं, जिसमें सोनू पिता बना है और मैं मां बनी हूं।


चुन्नु (मुन्नु से)- क्या तुम्हारे पापा सचमुच बहुत पैसे वाले हैं?

मुन्नु (चुन्नु से)- पूछो मत, उनका एक-एक दांत सोने का है।

चुन्नु- फीर तो अपना सिर तिजोरी में रखकर सोते होंगे।


मां (सोनू से)- बेटे आज तुमने स्कूल में क्या सीखा?

सोनू (मां से)- आज मैंने यह सीखा की दूसरे सभी बच्चों को मां-बाप से जेब खर्च मीलाता है, जबकी मुझे नहीं मीलता।


सोनू (पिता से)- हमारे पड़ोसी बड़े गरीब लगते हैं।

पीता (सोनू से)- तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?

सोनू- उनके बच्चे ने सीर्फ एक चवन्नी नीगली थी और उसकी मां ने रो-रोकर बुरा हाल कर लीया।

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शेफाली (राजेश से)- क्यों जी, आप कभी पुरुषों की तरह व्यवहार करते हैं तो कभी स्त्रियों की तरह।

राजेश (शेफाली से)- यह सब मुझे विरासत में मिला है। मेरे आधे पूर्वज पुरुष थे और आधे स्त्री।

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पती (देर से घर आने के बाद पत्नी से )- तुम सोच भी नहीं सकतीं की मैं कहां से आ रहा हूं।

पत्नी (पती से)- मैं जानती हूं। फीर भी आप जो कहानी सोचकर आए हैं, उसे शुरू कर दीजीए।
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आधी रात को बच्चे के रोने की आवाज सुनकर पटी ने पूछा- मुन्ना क्यों रो रहा है?

पत्नी ने कहा- सो नहीं रहा, बस रोए जा रहा है।

पती- लोरी गाकर सुला दो।

पत्नी- लोरी ही तो गा रही थी। लेकीन पदोसीयों ने कहा की इससे अच्छा तो बच्चे का रोना ही है।
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मुकेश ने आह भरकर कहा- मुझसे ज्यादा बदकीस्मत और कौन होगा? मेरी पत्नी बदीया खाना पकाना जानती है, लेकीन वो नहीं पकाती।

यह सुनकर उसके मीत्र रामू ने कहा- ऐसा मत कहो, दुनीया में तुमसे भी बड़े बदकीस्मत मौजूद हैं। मेरी पत्नी की मीसाल ले लो। वह खाना पकाना नहीं जानती, लेकीन पकाती है।
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Thursday, March 20, 2008

इंटरनेट

जीन्दगी ये कीस मोड पे ले आयी है,
ना मा, बाप, बहन, ना यहा कोई भाई है.
हर लडकी का है Boy Friend, हर लडके ने Girl Friend पायी है,
चंद दीनो के है ये रीश्ते, फीर वही रुसवायी है.

घर जाना Home Sickness कहलाता है,
पर Girl Friend से मिलने को टाईम रोज मील जाता है.
दो दीन से नही पुछा मां की तबीयत का हाल,
Girl Friend से पल-पल की खबर पायी है,
जीन्दगी ये कीस मोड पे ले आयी है…..

कभी खुली हवा मे घुमते थे,
अब AC की आदत लगायी है.
धुप हमसे सहन नही होती,
हर कोई देता यही दुहाई है.

मेहनत के काम हम करते नही,
इसीलीए Gym जाने की नौबत आयी है.
McDonalds, PizaaHut जाने लगे,
दाल-रोटी तो मुश्कील से खायी है.
जीन्दगी ये कीस मोड पे ले आयी है…..

Work Relation हमने बडाये,
पर दोस्तो की संख्या घटायी है.
Professional ने की है तरक्की,
Social ने मुंह की खायी है.
जीन्दगी ये कीस मोड पे ले आयी है




कइसन-कइसन काम नधाइल बाटे इंटरनेट पर
माउस धइले लोग धधाइल बाटे इंटरनेट पर

सर्च करीं जे चाहीं रउरा घरहीं बइठल-बइठल अब
सबके वेबसाइट छीताराइल बाटे इंटरनेट पर

बेदेखल-बेजानल चेहरा से भी प्यार-मुहब्बत अब
अजबे-गजबे मंत्र मराइल बाटे इंटरनेट पर

जब-जब कैफे वाला कहलस सर्वर डाउन बा मालीक
तब-तब बहुते मन बिखियाइल बाटे इंटरनेट पर

रूस, कनाडा, चीन, जर्मनी, भारत, यू.एस या लंदन
एक सूत्र में लोग बन्हाइल बाटे इंटरनेट पर

शाली से जब पूछनी ,' काहो- दुल्हा कतहूँ सेट भइल'
कहली उ मुस्कात ' खोजाइल बाटे इंटरनेट पर

मन के अँगना में गूँजत बा 'भावुक' हो तोहरे बतीया
गोरिया के लव-लेटर आइल बाटे.............

**********बेवडे ज़मीन पर...!!***********


********सभी बेवडों को समरपीत ... *********

मैं कभी बतलाता नहीं
बार मैं डेली जाता हूँ मैं माँ...
यूँ तो मैं,दीखालाता नहीं
दारू पीकर रोज़ आता हूँ मैं माँ....
तुझे सब है पता, हैं ना माँ...
तुझे सब है पता,मेरी माँ...

ठेके पे यूँ न छोडो मुझे,
घर लौट के भी आ ना पाऊँ मैं माँ...
पौय्या लेने भेज न इतना दूर मुझको तू,
घर भी भूल जाऊँ मैं माँ...
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ...
क्या इतना बुरा... मेरी माँ ...

दारू मैं इतना पीता नहीं,
पर मैं सहम जाता हूँ माँ
चेहरे पे आने देता नहीं
लेकीन मैं लुड़क जाता हूँ माँ
तुझे सब है पता...है ना माँ
तुझे सब है पता, मेरी माँ ...

Saturday, March 15, 2008

हँसना माना

1980 girls: Maa mei Jeans pehanungi
Maa : Nahin beti log kya kahengey ?
2006 girls: Maa mein mini skirt pehanungi
Maa: Pehen Le beti kuch to pehan Le!

Similarity between Gandhiji & Mallika?
Dono NE kapde tyag diye,
Ek NE desh ke liye,
Doosre NE Deshwasion ke liye!

Exams ke 4 din pehle syllabus dekha to yaad aaya,
Kuch To Hua Hai Kuch Ho Gaya Hai,
Exams ke din paper dekh kar yaad aaya,
Sab Kuch Alag Hai Sab Kuch Naya Hai

Judge: U r crossing the limits.
Lawyer: Kaun Saala aisa kehta hai?
Judge: How dare you call me saala?
Lawyer: My Lod, I said kaun 'sa Law' kehta hai?

Bhikhari: Saab 1 rupaya de do.
Saheb: Kal aana.
Bhikhari: Saala is kal-kal ke chakkar mein is colony mein mere lakhon
Rupaye fase huye hain.

Generation Next Motto:
Na hum shaadi karenge,
Na apne bachchon ko karne denge



रीशते

जैसा की आप सभी जानते है
की रीश्तो की व्याख्या बहुत ही मुश्कील प्रश्न है.....
फीर भी आज के दौर मे रीश्ते क्या हो गये है,
इस विषय पर कुछ प्रकाश डालने का प्रयास कीया है.....
नीदा फाज़ली साहब की एक रचना से प्रेरित हो कर लिखी है.......
कच्चे बखीये की तरह उधडते रीश्ते,
दील के मीलाने के बाद बीछ्दते रीश्ते...
दूरीयां करने लगे थे कम हम भी,
रोज़ मीलाने से लगे उखडने रीश्ते...
मोम के बुत क्यूँ बन गये है हम,
धूप मे फीर लगे पीघलने रीश्ते...
शहर की भीड मे अकेला हूँ,
मेरी बेखयाली मे उजड गये रीश्ते.....